ज़कात क्या है? कैसे काम करती है, फ़ज़ीलत, अहमियत और तरीक़ा

आज मैं आपको ज़कात के बारे में पूरी जानकारी दूंगा। इस आर्टिकल के पढ़ने के बाद आपको ज़कात क्या है, ज़कात की फ़ज़ीलत क्या है, ज़कात की अहमियत और ज़कात किसे देना और लेना चाहिए इसके बारे में बताऊंगा। ज़कात ईमान के 5 मूल स्तम्भ में से एक स्तम्भ है। ज़कात हर मुस्लमान पर फ़र्ज़ है।

ज़कात कब फ़र्ज़ हो जाती है। किसको ज़कात देना चाहिए

इंसान के देने के ऊपर है पहले चालीसवां 40 किलो में 1 किलो था अब 30 या 40 या 20 अपने माल के हिसाब से निकलते हैं।

जकात हर मुस्लमान भाई और बहनों को देना देना फ़र्ज़ हैं मुस्लमान अल्लाह के दिए हुए अपनी रोज़ी रोटी में से उसके हक़दारों के लिए निकलता है ।

ज़कात के फायदे

ज़कात मुस्लमान के लिए बहुत एहम हिस्सा है ज़कात देने से हमारी रोज़ी में बरकत होती है और और ज़कात हमें कब्र के अज़ाब से बचाती हैं।

निसाब क्या होता है?

निशाब एक इस्लामिक लहजा है इसे दुनिया में जरूरतों को पूरा करने के बाद और ज़रुरत की चीजों को छोड़कर अगर 52 तोला चाँदी या 7.5 तोला सोना हो या कोई बड़ी चीज का मालिक हो तो उसे ज़कात का निशाब कहा जाता है। औरत हो या मर्द दोनों को निशाब ज़कात देना फ़र्ज़ हैं।

ज़कात का नियम क्या है?

ज़कात के नियम बहुत ही आसान है अगर इंसान देने के काबिल या लायक हो एक मुस्लमान अपनी आमदनी में से पूरी साल में से जो-जो बचता है तो उसका 2.5 फीसदी जैसे एक इंसान 100 रुपये कमाता है तो उसका उसे 2.5 फीसदी हिस्सा किसी गरीब या जरूरतमंद को देना चाहिए।

ज़कात का नियम क्या है?

ज़कात किसी को बिना बताये देना चाहिए अपने दिल में सोच कर दो किसे को बिना बताये दो उसका सवाब ज्यादा होता है और अल्लाह बहोत खुश भी होते हैं ।

जकात देने के लिए कौन पात्र है?

ज़कात हैसियतमंद लोगो के ऊपर फर्ज है चाहे वो बहिन हो या भाई, अगर वह कमाता है तो उस पर भी फ़र्ज़ है ।

अगर बहन उस लायक है तो जो भी पैसा है अनाज का ज़कात निकाल सकती है शादी हो गई है, बहिन का पति मालदार हो तो उसको जकात देना फ़र्ज़ है 2.5 फीसदी किसी गरीब या जरूरतमंद को हिस्सा खैरात व ज़कात करना ज़रूरी है ।

जकात कौन ले सकता है?

ज़कात मजबूर और गरीब लोग ले सकते हैं, मज़बूर मतलब जिसके पास कहीं से खाने पीने या कोई कमाई आने की उम्मीद न हो।

ज़कात की अहमियत

ज़कात की दुनिया और आख़िरत में बहुत बड़ी अहमियत है। ज़कात देने से इंसान कब्र में कीड़ा मकोड़ा और सांफ और बिच्छू के आज़ाद से बच जाता है।

क्या जकात सैलरी पर लागू होती है?

ज़कात सैलरी में से भी देना फ़र्ज़ है, जैसे की एक आदमी 100 रुपये कमाता है तो उसे 2.5 रूपये ज़कात में देना पड़ेगा. अपने मॉल के हिसाब से माल की जकात निकल के किसी गरीब को दें देना चाहिए।

ज़कात की फ़ज़ीलत

ज़कात देने से माल वा चीजों में बरकत होती है और ज़कात देने से दीन और दुनिया बनी रहती है और अल्लाह हिफाज़त करते है।

ज़कात के प्रकार

ज़कात तीन तरह के मॉल पैर फर्ज है नगद रुपये बैंक में हो या घर पर ,सोने चाँदी और इसके जेवर तिजारती के मॉल पर ज़कात फ़र्ज़ है, ज़कात हर साहिबे निशाब पैर फर्ज है।

ज़कात तो लोग अल्लाह की राह में खर्च करते हैं अल्लाह बड़ा इल्म वाला है, जो लोग अल्लाह की रह में खर्च करते हैं और खर्च करने के बाद न एहसास होना, जताने न अज़ीज़यत देता है उसके लिए उसका सवाब अल्लाह उसे ऊपर अपने घर देगा।

ज़कात देने के बाद ग़मगीन न हों होंगे और मग़फ़ेरत सादका से बेहतर है, ज़कात, सादका, खैरात देना बहोत सवाब का काम है इसे लोगो को बताना भी सादके के बराबर है।

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