तरावीह की नमाज़ का तरीका, नियत, रकात और फ़ज़ीलत

तरावीह की नमाज़ रमजान के महीने में पढ़ी जाने वाली एक सुन्नत-ए-मुअक्कदा नमाज़ है। यह ईशा की नमाज़ के बाद और वित्र की नमाज़ से पहले पढ़ी जाती है। तरावीह की नमाज़ में पूरे कुरान की तिलावत की जाती है, और इसमें में कुरान को खत्म (मुआम्मल) करना होता है। तरावीह की नमाज़ 20 रकाअत की होती है, जिसमें हर 4 रकात के बाद एक तस्बीह पढ़ी जाती है, जिसे आमतौर पर तरावीह की दुआ कहा जाता है। 

अगर कोई इंसान तरावीह की नमाज़ नहीं पढ़ता है, तो उसे गुनाह नहीं होगा, क्योंकि यह सुन्नत-ए-मुअक्कदा है। हालांकि, इसे पढ़ने से बहुत सवाब और बरकत मिलती है।

आज मैं आपको तरावीह की नमाज़ पढ़ने का तरीका, उसकी नियत, फ़ज़ीलत, और तरावीह में पढ़ी जाने वाली दुआ के बारे में बताऊंगा।

तरावीह की नमाज़ दो तरह की होती

1. बड़ी तरावीह की नमाज़

इस तरावीह की नमाज़ में इमाम रमजान के रोज़े के अंदर पूरा क़ुरान शरीफ़ को मुक्कमल करता है

2. छोटी तरावीह की नमाज़

इस  तरावीह की नमाज़ में इमाम पारा 30 के आखिरी 10 सूरह को पढ़ता है ।

तरावीह में कितनी रकात होती है?

तरावीह की नमाज़ कुल 20 रकात की होती है, जिसे दो-दो रकअत करके पढ़ा जाता है।

हर 4 रकात पूरी करने के बाद तरावीह की तस्बीह पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह की दुआ भी कहा जाता है।

तरावीह की नमाज़ की नियत कैसे करें?

तरावीह की नमाज़ की नीयत करने का तरीका भी बाकी की नमाज़ों की तरह ही होता है। नियत दिल से की जाती है, लेकिन इसे ज़ुबान से भी पढ़ा जा सकता है।

नियत करने का तरीका कुछ इस तरह है:

1. दिल से इरादा करें: आपका इरादा (मकसद) तरावीह की नमाज़ पढ़ने का होना चाहिए।

2. नीयत की दुआ को पढ़ें: इन्नी वाज्जःतु वजहिया लिल्लज़ी फतरसामावाती वलअर्ज़ा हनी -फ़ो -व- वमा आना मिनल मुशरिकीन

इस्लाम के जानने वालों के अनुसार, आप पूरी 20 रकात तरावीह की नमाज़ की नीयत एक साथ कर सकते हैं या फिर 2-2 रकात करके भी नीयत कर सकते हैं। आपको जो सही लगे वो कर सकते हैं।

3. 2 रकात के लिए: “नियत करता/करती हूँ मैं 2 रकात नमाज़ तरावीह, सुन्नत-ए-मुअक्कदा, वक्त-इशा, वास्ते अल्लाह ताला के लिए, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, पीछे इस इमाम के।

इसके बाद “अल्लाहु अकबर” कहते हुए हाथ को नाभि के नीचे बांध लें और इमाम के पीछे अपनी तरावीह की नमाज़ को पूरा करें।

4. 20 रकात के लिए (एक साथ): “नियत करता/करती हूँ मैं 20 रकात नमाज़ तरावीह, सुन्नत-ए-मुअक्कदा, वक्त-इशा, वास्ते अल्लाह ताला के लिए, मुंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, पीछे इस इमाम के।

इसके बाद “अल्लाहु अकबर” कहते हुए हाथ को नाभि के नीचे बांध लें और इमाम के पीछे अपनी तरावीह की नमाज़ को पूरा करें।

तरावीह की नमाज़ को पढ़ने का तरीक़ा

  1. तरावीह की नमाज़ की नीयत करें:
  2. फिर “अल्लाहु अकबर” कहकर हाथ नाभि के नीचे बांध लें।
  3. सना दुआ को पढ़ें।
  4. ताऊज (अऊज़ु बिल्लाहि मिना शैतानिर्रजीम) और बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम कहें।
  5. इसके बाद इमाम साहब सूरह फातिहा और कुरआन शरीफ की आयतें पढ़ेंगे, आपको ध्यान से सुनना है।
  6. रुकू करें और रुकू की तस्बीह पढ़ें।
  7. सजदा करें और सजदे की तस्बीह पढ़ें।
  8. इमाम साहब के साथ “अल्लाहु अकबर” कहते हुए खड़े हो जाएं।
  9. पहली रकात की तरह अब दूसरी रकात भी इसी तरह पूरी करें।
  10. अब आपकी दो रकात तरावीह की नमाज़ पूरी हो गई।
  11. इमाम साहब इसी तरह दो-दो रकात करके 20 रकात पूरी करेंगे।
  12. हर चार रकात पूरी होने के बाद तरावीह की दुआ पढ़ें।
  13. 20 रकात तरावीह पूरी होने के बाद अल्लाह से दुआ मांगें।
  14. फिर इमाम के साथ 3 रकात वितर की नमाज़ पढ़ें।

तरावीह की नमाज़ की दुआ ( तस्बीह) हिंदी, इंग्लिश और अरबी में

अगर आपको नहीं मालूम हो तो हम बताते चलें कि तरावीह की नमाज़ में हर 4 रकात के बाद तरावीह की दुआ (तस्बीह) पढ़ी जाती है। नीचे हमने तरावीह की दुआ हिंदी, इंग्लिश और अरबी में दी है।

तरावीह की नमाज़ की दुआ ( तस्बीह) हिंदी में

सुबहानाज़िलमुल्कि वलमलाकूति * सुब्हानज़िल इज्ज़ति वल अज्मति वल हैबति वल क़ुदरति वल किबरियाइ वल जबरूत * सुब्हानल मलिकिल हय्यिल लज़ी ला यनामु वला यमूतु * सुब्बुहुन कुद्दुसून रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर्रूह * अल्लाहुम्मा अजिरना मीनन नारी या मुजीरू या मुजीरू या मुजीर *

तरावीह की दुआ इन अरबी

سُبْحَانَ ذِی الْمُلْکِ وَالْمَلَکُوْتِ ط سُبْحَانَ ذِی الْعِزَّةِ وَالْعَظَمَةِ وَالْهَيْبَةِ وَالْقُدْرَةِ وَالْکِبْرِيَآئِ وَالْجَبَرُوْتِ ط سُبْحَانَ الْمَلِکِ الْحَيِ الَّذِی لَا يَنَامُ وَلَا يَمُوْتُ سُبُّوحٌ قُدُّوْسٌ رَبُّنَا وَرَبُّ الْمَلَائِکَةِ وَالرُّوْحِ ط اَللّٰهُمَّ اَجِرْنَا مِنَ النَّارِ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيْرُ يَا مُجِيْر۔

तरावीह की नमाज़ की तस्बीह इंग्लिश में

Subhaana zil mulki wal malakootSubhaana zil izzati wal azmatiWal hai bati wal qudratiWal kib riya i wal jabarootSubhaanal malikil hayyil laziLa yanamu walaa yamootSubboohun quddoosunRabbuna wa rabbul malaa ikati warroohAllahumma ajirna minannaarYa mujeeru Ya mujeeru Ya mujeer

तरावीह की नमाज़ सुन्नत है या नफील?

तरावीह की नमाज़ सुन्नत-ए-मुअक्कदा (मजबूत सुन्नत) है, न कि नफ़िल नमाज़

सुन्नत-ए-मुअक्कदा: यह वह सुन्नत है जिसे नबी-ए-करीम ﷺ ने अपनी ज़िंदगी में हमेशा अदा किया और इसकी तालीम दी कि सभी मुसलमान इसे पढ़ें।

फर्ज़ नहीं, लेकिन बहुत अहम: तरावीह की नमाज़ फर्ज़ नहीं है, लेकिन इसे छोड़ना सही नहीं माना जाता, क्योंकि यह रमज़ान के खास अमलों में से एक है और इसका बहुत सवाब है।

क्या तरावीह की नमाज़ पढ़ना अनिवार्य (फर्ज) है?

नहीं, तरावीह की नमाज़ फर्ज़ नहीं है, क्योंकि यह नमाज़ सुन्नत-ए-मुअक्कदा है।

इसका मतलब यह है कि इसे पढ़ना अनिवार्य नहीं, लेकिन नबी-ए-करीम ﷺ ने हमेशा इसे पढ़ा और मुसलमानों को इसे पढ़ने की तालीम दी। इसलिए, इसे पढ़ना बेहद अहम और फज़ीलत वाला अमल है।

तरावीह की नमाज़ पढ़ने में कितना वक़्त लगता है?

तरावीह की नमाज़ पढ़ने में कम से कम एक घंटा लगता है।

हालांकि, इसका समय इस बात पर निर्भर करता है कि उस वक्त कितने पारे की तिलावत की जा रही है

  • अगर 1 पारा पढ़ा जाता है, तो तरावीह की नमाज़ पूरी करने में लगभग 45 मिनट लग सकते हैं।
  • अगर कम तिलावत होती है, तो समय भी कम हो सकता है।

कुछ जगहों पर पूरी नमाज़ 1.5 से 2 घंटे तक भी चल सकती है, खासकर जहां कुरआन का ख़त्म (मुक़म्मल ) जल्दी किया जाता है।

तरावीह की नमाज़ की फजीलत

  1. हर सजदे पर 1500 नेकी लिखी जाती है।
  2. हर सजदे के साथ जन्नत में एक महल बनता है, जिसमें 60,000 सोने और चांदी के दरवाजे होते हैं।
  3. हर सजदे पर जन्नत में एक दरख़्त लगाया जाता है, जिसके नीचे एक घोड़ा 100 साल तक दौड़ सकता है।
  4. गुनाहों की माफी: अल्लाह तआला फरिश्तों से फरमाएंगे: रात की तरावीह और दिन के रोज़े रखने की वजह से मैंने अपने तमाम बंदों को माफ कर दिया।
  5. क़ुरआन की तिलावत और समझने का मौका: तरावीह की नमाज़ में क़ुरआन की तिलावत होती है, जिससे न केवल सवाब मिलता है, बल्कि क़ुरआन को सुनने और समझने का भी मौका मिलता है।
  6. अल्लाह की रहमत और बरकत: तरावीह की नमाज़ अदा करने से अल्लाह की रहमत और बरकत प्राप्त होती है।

तरावीह में पढ़ी जाने वाली 10 सुरह कौन सी हैं?

तरावीह की नमाज़ में पढ़ी जाने वाली 10 सूरतें ये हैं:

  1. सूरह फील
  2. सूरह कुरैश
  3. सूरह माऊन
  4. सूरह कौसर
  5. सूरह काफिरून
  6. सूरह नस्र
  7. सूरह लहब (तब्बत)
  8. सूरह इखलास
  9. सूरह फालक
  10. सूरह नास

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