तहज्जुद की नमाज़ का तरीक़ा, वक़्त, नीयत, फ़ज़ीलत, और रकात

तहज्जुद की नमाज़ एक नफ़्ल नमाज़ है, जो रात के आखिरी पहर में अदा की जाती है। इसे पढ़ने के लिए वुज़ू करना, नियत करना, सूरह फातिहा और कोई सूरह पढ़ना आवश्यक होता है।

इस नमाज़ का समय आधी रात के बाद से लेकर फजर की अज़ान से पहले तक होता है। तहज्जुद की नमाज़ के कई फायदे बताए गए हैं—यह दुआ कबूल होने का एक खास वक़्त माना जाता है। इसके माध्यम से इंसान अल्लाह से अपनी परेशानियाँ साझा कर सकता है, दुआ कर सकता है, और अपनी ज़िंदगी में सुकून और बरकत की उम्मीद रख सकता है।

आप क्या सीखेंगे

तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने का सही समय क्या है?

तहज्जुद की नमाज़ का समय आधी रात लगभग (2 बजे) से लेकर सुबह सादिक (फजर की अज़ान) तक होता है।

सबसे बेहतर तरीका यह है कि ईशा की नमाज़ के बाद सो जाएं और फिर आधी रात के बाद जागकर तहज्जुद अदा करें। इस तरह पढ़ने से इसका ज्यादा सवाब मिलता है। हालांकि, अगर किसी को आधी रात को उठना मुश्किल लगे, तो वह ईशा के बाद बिना सोए भी तहज्जुद पढ़ सकता है।

अगर आपको रात में उठना मुश्किल लगता है, तो सोने से पहले नीयत कर लें कि आप तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने के लिए उठेंगे।

तहज्जुद में कितनी रकात होती है?

तहज्जुद की नमाज़ की रकात की कोई निश्चित (Fix) संख्या नहीं है। नबी ए करीम ﷺ आमतौर पर 8 रकात तहज्जुद की नमाज़ पढ़ते थे और फिर वित्र नमाज़ अदा करते थे।

आमतौर पर लोग 4, 8 या 12 रकात अदा करते हैं, लेकिन कम से कम 2 रकअत भी पढ़ी जा सकती है। अगर समय कम हो, तो 4 रकात पढ़ना भी बेहतर है, लेकिन 8 या 12 रकअत पढ़ने से ज्यादा सवाब मिलता है।

तहज्जुद नमाज़ की नियत कैसे करें?

तहज्जुद की नमाज़ की नीयत करने का तरीका:

नीयत का मतलब दिल के इरादे से होता है। नीयत करने के लिए सबसे पहले नीयत की दुआ पढ़ी जाती है। तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने से पहले नीयत इस तरह करें:

नियत करता हूँ मैं 2 रकात नमाज़ तहज्जुद नफ़्ल, वास्ते अल्लाह तआला के, रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर

इसके बाद “अल्लाहु अकबर” कहते हुए हाथ को नाभि के नीचे बांध लें।

तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा

तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने के लिए सबसे पहले आप वुज़ू करेंगे,नीयत बाधेंगे, सना, सूरह फातिहा और किसी क़ुरान की सूरह को पढ़ेंगे। जैसे हम 2 रकात नमाज़ पढ़ते हैं वैसे ही तहज्जुद की नमाज़ भी पढ़ी जाती है।

1. वुज़ू करेंगे 

जैसे हर नमाज़ के पढ़ने से पहले वुज़ू करते हैं उसी तरह तहज्जुद की नमाज़ को पढ़ने से पहले वुज़ू करेंगे। हमने वुज़ू करने का सही तरीक़ा को हमने पिछले आर्टिकल में बताया हुआ है।

2. तहज्जुद की नमाज़ की नियत कैसे की जाती है?

नियत करता हूँ मैं 2 रकात नमाज़ तहज्जुद नफ़्ल, वास्ते अल्लाह तआला के, रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर

3. अल्लाहु अक्बर कहकर हाथ बांध लें 

नीयत करने के तुरंत बाद “अल्लाहु अकबर” कहते हुए दोनों हाथों को कानों के नीचे तक उठाना और फिर ठोड़ी के नीचे हाथ बांधना सुन्नत तरीका है।

इस दौरान:

  • दाहिने हाथ को बाएं हाथ के ऊपर रखा जाता है।
  • उंगलियां हल्की सी खुली होती हैं और कलाइयों को मजबूती से पकड़ा जाता है।

4. सना को पढ़े 

हाथ बांधने के बाद सना दुआ पढ़ी जाती है, जो इस प्रकार है: (सुब्हान-कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबा-रा-कस्मुका व तआला जद्दु-का वलाइलाहा ग़ैरुक।)

5. नीयत और तकबीर के बाद ताउज और तस्मिया पढ़ी जाती है:

ताउज यानि अऊज़ुबिल्लाही मिनशषशैय्तानीर रजीम और तस्मिया यानि बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम को पढ़ेंगे।

6. सूरह फातिहा पढ़ेंगे 

अब सूरह फातिहा पढ़ी जाएगी। यह हर रकअत में पढ़ना जरूरी है। जो इस प्रकार है:- अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन @ अर रहमा-निर-रहीम @ मालिकि यौमिद्दीन @ इय्याका न अबुदु व इय्याका नस्तईन @ इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम @ सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम @ गैरिल मग़दूबी अलय हिम् वलज़्ज़ाल्लीन (आमीन)।

7. क़ुरआन शरीफ की सूरह पढ़ेंगे

सूरह फातिहा पढ़ने के बाद, क़ुरआन शरीफ की कोई भी सूरह या आयत पढ़ी जाती है। आप छोटी सूरह भी पढ़ सकते हैं। छोटी सूरहों में से चारों कुल (सूरह अल-काफिरून, सूरह अल-इख़लास, सूरह अल-फलक़, सूरह अन-नास) में से कोई एक पढ़ सकते हैं।

8. रुकू में चले जायेंगे

“अल्लाहु अकबर” कहते हुए रुकू में जाएंगे और फिर 3 या 5 बार “सुब्हाना रब्बीयल अज़ीम” पढ़ेंगे।

रुकू से उठना:

फिर सज्दे में जाने की तैयारी करेंगे।

“समिअल्लाहु लिमन हमिदह” कहते हुए सीधा खड़े हो जाएंगे।

खड़े होने के बाद “रब्बना लकल हम्द” कहेंगे।

9. सज़दे में चले जायेंगे

“अल्लाहु अकबर” कहते हुए सजदे में जाएंगे। तीन या पांच बार “सुब्हाना रब्बियाल अ’ला” पढ़ेंगे।

सजदे के बीच बैठना

“अल्लाहु अकबर” कहते हुए सजदे से उठकर बैठेंगे। फिर “अल्लाहुम्मग़्फ़िरली, वरहमनी, वहदिनी, वअाफिनी, वरज़ुकनी, वज़बुरनी, वर्फअनी” पढ़ेंगे।

दूसरा सजदा

“अल्लाहु अकबर” कहते हुए दूसरी बार सजदे में जाएंगे। फिर से “सुब्हाना रब्बियाल अ’ला” तीन या पांच बार पढ़ेंगे।

इस तरह एक रकात पूरी हो जाती है। दूसरा सजदा पूरा करने के बाद खड़े हो जाएंगे और दूसरी रकअत शुरू करेंगे।

तहज्जुद की दूसरी रकात भी पहली रकात की तरह ही पढ़ी जाएगी। सबसे पहले बिस्मिल्लाह कहकर सूरह फातिहा पढ़ी जाएगी, फिर इसके बाद कोई और सूरह तिलावत करें। इसके बाद रुकू में जाकर तस्बीह पढ़ें और फिर सजदा करें। सजदा करने के बाद बैठ जाएं। दूसरी रकात के आखिर में तशह्हुद, दरूद और दुआ मासुरा पढ़ें और फिर सलाम फेरें

10. तशह्हुद पढ़े

सजदे में बैठने के बाद सबसे पहले तशह्हुद की दुआ पढ़ी जाएगी: – अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तय्यिबातु अस्सलामु अलैका अय्युहन-नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व ब-रकातुहू @ अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्ला हिस्सालिहीन अशहदु अल्ला इला-हा इल्लल्लाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहू।

11. दरूद शरीफ को पढ़ेंगे

दरूद शरीफ यानि दरूदे इब्राहिम को पढ़ेंगे- अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिंव वअला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला इब्राहीमा व अला आलि इब्राहि-म इन्न-क हमीदुम्मजीद । अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिंव व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहिमा व अला आलि इब्राहि-म इन्नका हमीदुम्मजीद ।

12. दुआ ए मसुरा को पढ़ेंगे 

दुआ ए मसुरा को सबसे आखिरी में पढ़ेंगे- अल्ला हुम्मा इन्नी ज़लम्तु नफ़्सी ज़ुलमन कसीरंव वला यग़्फिरुज़-जुनूब इल्ला अन-त फ़गफ़िरली मग़-फिरतम मिन इनदिका वर-हमनी इन्नका अन्तल गफ़ुरुर्रहीम।

इस तरह आपकी 2 रकात तहज्जुद की नमाज़ पूरी हो गई। अब इसी तरीके से आप अपनी मर्ज़ी के मुताबिक जितनी चाहें उतनी रकात अदा कर सकते हैं। ज्यादातर उलमा यह कहते हैं कि तहज्जुद की नमाज़ में कम से कम 2 रकात और अधिकतम 12 रकअत पढ़नी चाहिए। हालांकि, जिसे जितनी सहूलियत हो, वह उतनी रकात अदा कर सकता है, क्योंकि यह नफ़्ल नमाज़ है और इसमें कोई निश्चित सीमा नहीं है।

तहज्जुद की नमाज़ सुन्नत है या नफ़्ल?

तहज्जुद की नमाज़ नफ़्ल नमाज़ है, यानी इसे पढ़ना फर्ज़ या वाजिब नहीं, लेकिन तहज्जुद की नमाज़ को बहुत फ़ज़ीलत (सवाब) वाली नमाज़ मानी जाती है। 

तहज्जुद की नमाज़ को हमारे प्यारे नबी ए करीम ﷺ ने मुसलमानों के लिए एक बड़ी नेमत बताया है, क्योंकि यह रात के उस वक़्त अदा की जाती है जब अल्लाह पाक अपने बंदों की दुआ क़ुबूल करता है।

इसे पढ़ने की कोई पाबंदी नहीं, लेकिन महीने या हफ्ते में कम से कम एक बार पढ़ना फायदेमंद बताया गया है।

तहज्जुद की नमाज में क्या-क्या पढ़ा जाता है?

तहज्जुद की नमाज़ में आमतौर पर लंबी सूरह पढ़ी जाती है, जैसे सूरह अल-बक़राह, सूरह अल-इमरान और सूरह अल-मुल्क etc। हालांकि, अगर कोई लंबी सूरहें नहीं पढ़ सकता, तो वह कोई भी कुरआनी सूरह पढ़ सकता है।

 तहज्जुद की नमाज़ के दौरान खास दुआएं करना और अल्लाह से माफी और रहमत मांगना बहुत फज़ीलत वाला माना जाता है। तहज्जुद की नमाज़ में इंसान अपने लिए, अपने परिवार के लिए और तमाम मुसलमानों के लिए दुआ कर सकता है। इसके अलावा, रिज़्क, बरकत, सेहत और दुनिया-आख़िरत की भलाई के लिए भी दुआ की जा सकती है। 

तहज्जुद की नमाज़ के बाद पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर दरूद शरीफ पढ़ना सवाब का काम है। 

तहज्जुद की नमाज़ का असली मकसद सिर्फ रकात अदा करना ही नहीं, बल्कि अल्लाह से करीब़ी हासिल करना और अपने दिल की बातें बयान करना भी है।

तहज्जुद की नमाज़ की क्या फ़ज़ीलत है?

तहज्जुद की नमाज़ के फायदे और फज़ीलत:

  1. पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व) की सुन्नत: तहज्जुद की नमाज़ पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सुन्नत है। वे इसे हमेशा अदा किया करते थे और इसे पढ़ने की तालीम दी।
  2. दुआ कबूल होने का बेहतरीन समय: तहज्जुद का समय अल्लाह के सबसे करीब होने का समय माना जाता है।

हदीस में आता है कि अल्लाह तआला रात के आखिरी पहर में आसमान-ए-दुनिया की तरफ आते हैं और फरमाते हैं:“कौन है जो मुझसे दुआ करे ताकि मैं उसकी दुआ कबूल करूं? कौन है जो मुझसे मांगे ताकि मैं उसे दूं? और कौन है जो मुझसे बख्शिश चाहे ताकि मैं उसे माफ कर दूं?”(सहीह मुस्लिम)

  1. हर फर्ज़ के बाद सबसे अफज़ल नमाज़: हदीस में अबू हुरैरा (रजि.) से रिवायत है कि हर फर्ज़ की नमाज़ के बाद सबसे अफज़ल (उम्दा) नमाज़ तहज्जुद की नमाज़ है।
  2. तहज्जुद नीयत करने से भी सवाब मिलता है: अगर कोई इंसान सोने से पहले तहज्जुद की नीयत करता है लेकिन किसी वजह से नहीं उठ पाता, तो भी अल्लाह पाक उसे तहज्जुद का सवाब अता करते हैं।
  3. दिल की सुकून और नूर (रोशनी): तहज्जुद पढ़ने से दिल को सुकून और मन को शांति मिलती है। यह रूह की ताकत और चेहरे की रौनक बढ़ाने वाली नमाज़ है।
  4. गुनाहों की माफी और बख्शिश: तहज्जुद की नमाज़ गुनाहों की माफी और अल्लाह की रहमत पाने का ज़रिया है। यह इंसान को नेक बनने में मदद करती है।
  5. रिज़्क़ और बरकत में इज़ाफा: तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने वालों के रिज़्क में बरकत होती है और मुश्किलात आसान हो जाती हैं।

अगर तहज्जुद पढ़ते समय फज़र की अज़ान हो जाए तो क्या करना चाहिए?

अगर तहज्जुद की नमाज़ के दौरान फज्र की अज़ान हो जाए, तो नमाज़ को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए, बल्कि उसे पूरा करना चाहिए।

आपने इसे पढ़कर तहज्जुद नमाज़ के तरीके, समय, रकात, इरादा और फ़ज़ीलत के बारे में ज़रूर सीखा होगा। तो आज ही नीयत करें कि, इंशा’अल्लाह, मैं तहज्जुद की नमाज़ पढ़ने की आदत डालूंगा।

अगर शुरुआत में रोज़ न पढ़ सकें, तो हफ्ते में एक या दो दिन से शुरुआत करें और धीरे-धीरे इसे अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लें। अल्लाह तआला हम सबको इस नेक अमल की तौफ़ीक़ दे, आमीन!

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