रमज़ान का महीना रहमत, मग़फ़िरत और जहन्नम की आग से नजात का अवसर होता है। इसमें तीन अशरे होते हैं, जिनका अलग महत्व है। खासकर आखिरी अशरा जहन्नुम से नजात पाने के लिए अहम है। इस दौरान हम मुसलमानों को अधिक इबादत और दुआ करनी चाहिए, ताकि अल्लाह की बरकत और कृपा प्राप्त हो सके।
अगर आप रमज़ान के तीनों अशरों की दुआ पढ़ेंगे, तो अल्लाह पाक की रहमत, मग़फ़िरत और जहन्नुम से निजात हासिल कर सकते हैं। यह मुबारक महीने का सबसे अहम हिस्सा है, जिसमें अल्लाह से दुआ, तौबा और इबादत के जरिए उसकी रहमत प्राप्त की जा सकती हैं।
रमज़ान में अशरा क्या होता है?
रमज़ान में अशरा दस दिनों के वक़्त को कहते हैं, और रमज़ान में कुल तीन अशरे होते हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग फ़ज़ीलत होती है। पहला अशरा (1 से 10 रमज़ान) अल्लाह की रहमत पाने के लिए होता है, जिसमें मुस्लमान को अल्लाह से रहमत और माफ़ी मांगनी चाहिए। दूसरा अशरा (11 से 20 रमज़ान) मग़फ़िरत का अशरा होता है, जिसमें अल्लाह से गुनाहों की माफी और सही रास्ते पर चलने की दुआ की जाती है। तीसरा अशरा (21 से 30 रमज़ान) नजात (नरक से बचाव) का अशरा होता है, जिसमें अल्लाह से जहन्नुम की आग से बचाने की दुआ मांगी जाती है।

रमजान के पहले अशरे की दुआ
रमज़ान के पहले अशरे में हम अल्लाह पाक से दया और माफ़ी मांगने की दुआ करते हैं, क्योंकि बेशक अल्लाह सबसे ज्यादा रहम और माफ़ करने वाला है। पहले अशरे में अल्लाह की रहमत (दया) को हासिल करने का बेहतरीन मौका होता है, इसलिए हमें सच्चे दिल से तौबा करनी चाहिए और अल्लाह से अपनी गलतियों की माफ़ी मांगनी चाहिए।

पहले अशरे की दुआ हिंदी में
रब्बिग़ फिर वर-हम वा अंता खाइरुर राहिमीन
पहला अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा हिंदी में
हमारे रब, हमें माफ़ करें और हम पर रहम करें, क्योंकि बेशक आप रहम करने वालों में सबसे अच्छे हैं।
रमजान के पहला अशरे की दुआ अरबी में
رَبِّ اغْفِرْ وَارْحَمْ وَاَنْتَ خَيْرُ الرَّاحِمِيْنَ
पहले अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा उर्दू में
اے ہمارے رب! ہمیں بخش دے اور ہم پر رحم کر، کیونکہ تو رحم کرنے والوں میں بہترین ہے۔
पहले अशरे की दुआ इंग्लिश में
Rabbig fir war-ham wa-anta khairur-raahimeen
पहले अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा अंग्रेजी में
Our Lord, forgive us and have mercy on us, for You are the best of those who show mercy
रमजान के दूसरे अशरे की दुआ
रमज़ान का दूसरा अशरा अल्लाह से माफ़ी और रहमत मांगने के लिए होता है। इंसान जाने-अनजाने में बहुत से गुनाह कर बैठता है, इसलिए यह अशरा तौबा और मग़फ़िरत का बेहतरीन समय है। हमें चाहिए कि इस अशरे में अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगे, उसकी रहमत की दुआ करें और नेक रास्ते पर चलने का संकल्प लें।
दूसरे अशरे की दुआ हिंदी में
अस्तग़्फिरुल्लाह रब्बी मिन कुल्लि ज़म्बिन वा आतूबु इलैहि
दूसरे अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा हिंदी में
मैं अपने सभी गुनाहों के लिए अपने रब, अल्लाह पाक से माफ़ी मांगता हूँ और उसकी ओर मुड़ता हूँ।
रमजान के तीसरे अशरे की दुआ
रमज़ान का तीसरा और आखिरी अशरा जहन्नुम की आग से नजात पाने का अशरा होता है। इस अशरे में हम अल्लाह पाक से जहन्नुम की आग से बचाने की दुआ करते हैं, क्योंकि अल्लाह पाक ही हमें नरक की सज़ा से बचाने वाला है। तीसरे अशरा इबादत और तौबा करने का सबसे अहम वक्त होता है, जिसमें हमें अल्लाह से गुनाहों की माफ़ी मांगनी चाहिए और उसकी रहमत व नेमत पाने की कोशिश करनी चाहिए।
तीसरे अशरे की दुआ हिंदी में
अल्लाहुम्मा अजिरनी मिनन नार
तीसरा अशरे की दुआ का तर्ज़ुमा हिंदी में
ऐ अल्लाह पाक मुझे जहन्नुम की आग से बचा
अगर आप रमज़ान के अशरों की दुआ को कसरत से पढ़ेंगे, तो इंशाअल्लाह अल्लाह पाक आपके तमाम गुनाहों को माफ़ कर देंगे और आप पर अपनी रहमत बरसाएंगे। इसलिए, इस मुबारक महीने में हमें दिल से इबादत करनी चाहिए, अल्लाह से माफ़ी और रहमत मांगनी चाहिए, और नेक अमल करते हुए उसकी رضا (संतोष) हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए।
रमजान के 3 भाग कौन से हैं?
रमज़ान का पहला अशरा अल्लाह पाक से दया और माफ़ी मांगने के लिए, दूसरा अशरा अल्लाह पाक से सही रस्ते पर चलने और माफ़ी मांगने के लिए, और तीसरा अशरा अल्लाह पाक से जहन्नुम की आग से बचने के लिए होता है।