कुर्बानी करने का तरीका, दुआ और फ़ज़ीलत क्या-क्या है?

कुर्बानी करना अल्लाह पाक को बहुत पसंद है। कुर्बानी करना हज़रत इब्राहीम अ.स की सुन्नत है। कुर्बानी के ही दिन वह अपने इस्लामिल अ.स को ज़िबह करने जा रहे थे। यह हर साल उर्दू केलिन्डर के धूल हिज्जः के महीने में और ईद की नमाज़ पढ़ने के 3 महीने बाद बनायीं जाती है।

कुर्बानी करने का तरीका के बारे में नीचे हमने बताया हुआ है और साथ ही उसकी दुआ और फ़ज़ीलत के बारे में भी बताया है।

कुर्बानी करने का तरीका क्या है?

कुर्बानी का सही तरीका यह है की हलाल करने वाले जानवर को इस तरह लिटाये की उसका सिर बाए तरफ़ और उसका पूरा जिस्म आपके दाएं तरफ़ हो जाए और उसका चहरा क़िबलाह की तरफ़ हो जाए यानी हमारे देश के हिसाब से पश्चिम की तरफ़ हो जाए।

Qurbani karne ka tarika
Qurbani Ka Tareeka

कुर्बानी करने से पहले इन 5 बातों का ध्यान रखे

  1. तीन मर्तबा में आप जानवर को ज़बह करदे।
  2. जानवर की गर्दन में 4 नसे होती है तीन का करना ज़रूरी है।
  3. नमाज़ जब पढ़कर आए तभी कुर्बानी करना अफ़ज़ल है।
  4. पहले दिन कुर्बानी करना सारे दिन से अफ़ज़ल है।
  5. अपना पाव उसकी गर्दन पर रखें।

कुर्बानी करने की दुआ क्या है?

  1. सिर्फ़ बिस्मिल्लाह पढ़ना । सहीह बुखारी, हदीथ नंबर ए – 985
  2. बिस्मिल्लाह वल्लाहुअकबर । सहिह मुस्लिम, हदीस नंबर -1966
  3. बिस्मिल्लाह अल्लाहुम्मा तकाब्बल मिन्न फलाह फलाह । सहीह मुस्लिम हदीस नंबर -1967
  4. इन्नी वज्जह्तु वज्हिया……. सुनन अबू दाऊद, हदीस नंबर -2795

कुर्बानी की दुआ हिंदी में

इन्नी वज्जह्तु वज्हिया लिल्लज़ी फ़तरस्समावाति वल अरज़ अला मिल्लति इब्राहीमा हनीफ़ंव वमा अना मिनल मुश्रिकीन @ िन्नासलाती व नुसुकी व महयाया व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन लाशरीका लहू वबि ज़ालिक उमिर्तु वअना मिनल मुस्लिमीन @ अल्लाहुम्मा मिनका वलका अन ० बिस्मिल्लाह वल्लाहू अकबर।

Qurbani ki dua
Qurbani ki dua

कुर्बानी करने के बाद की दुआ हिंदी में

अल्लाहुम्म तक़ब्बल मिन्नी (‘मिन फलां’) कमा तक़ब्बल्त मिन् ख़लीलिक इब्राहीम अ़लैहिस्सलाम व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु अ़लैहि वसल्लम

अगर आप क़ुरबानी खुद के लिए कर रहे हैं तो मिन्नी कहे और अगर किसी दुसरे शख्श की कर रहे हैं तो मिन्नी की जगह मिन फलाह बोले यानि उस इंसान का नाम ले। जैसे -: मिन माजिद, मिन अहमद

कुर्बानी करने की दुआ अरबी में

اِنِيٌ وَجَّهٌتُ وَجٌهِيَ لِلَّذِيٌ فَطَرَ السَّمٰوٰتِ وَالٌاَرٌضَ حَنِيفًا وَمَا أَنَا مِنَ الٌمُشٌرِكِينَ © إِنٌَ صَلاَتِي وَنُسُكِي وَمَحٌیَائَ  وَمَمَا تِي لِلَّهِ رَبٌِ الٌعَالَمِينَ © لاَ شَرِيكَ لَهُ وَبِذَلِكَ أمِرٌتُ وَ أَناَ مِنَ الٌمُسٌلِمِينَ© اَللّٰهُمَ لَكَ وَ مِنٌك بِسٌمِ اللّٰهِ واللّه اَكٌبَرُ

कुर्बानी करने के बाद की दुआ अरबी में

اللهم تكبال مني (من فلان) كام تكبلت من خليق إبراهيم عليهيس سلام وحبيبك محمدين صلى الله عليه وسلم.

Qurbani Karne Ki Dua In English

INNI WAJJAHTU WAJHIA LILLAZI FATARAS SAMAWAATI WL ARZ HANEEFA W MA ANA MINAL MUSHRIKEEN, INNA SALATI W NUSUKI W MAHYAYA WMAMATI LILLAHI RABBIL AALMEEN, LA SHARIKA LAHU, W BIZALIKA UMIRTU, W ANA AWWALUL MUSLIMEEN, BIS MILLAH ALLAHU AKBAR.

Qurbani Karne Ke Baad Ki Dua In English

Allahumm takbbal minni (‘Min Phala’) kama takbbalt min khaliliqa Ibrahim Alaihis Salam wa HabibikaMuhammadin sallallahu alayhi wa sallam

कुर्बानी करने की बरकत और फजीलत क्या-क्या है?

हर मुसलमान जानता है कुर्बानी अल्लाह ताला के प्यारे नबी हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है दरअसल हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपने सपने में 2 से 3 दिन लगातार यह देखा था की वह अपने प्यारे बेटे जनाब हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी अपने ही हाथो से कर रहे हैं बाकी का वाकिया आप हमारी कुर्बानी की कहानी के लेख में पढ़ सकते हैं।

कुर्बानी किस पर वाजिब है?

कुर्बानी हर उस औरत – मर्द पर ज़रूरी है जिसपर ज़कात ज़रूरी और हर वो शख्श पर जो मालदार है । कुर्बानी पैगम्बर SA, दादा, दादी, मां, बाप, भाई, बहन, बेटे, और ख़ुद पर किया जाता है।

कुर्बानी के गोश्त को किन-किन लोगों में बांटा जाता है?

कुर्बानी के गोश्त को गरीब, लाचार और मज़दूर लोगों में बांटा जाता है, जो भी इंसान के पास पैसे की इतनी कमी हो की वो खुद के पैसे से कुर्बानी न करा सके तो उस इंसान को देना जरूरी होता है।

क़ुरबानी के गोश्त को 3 हिस्सों में बाटा जाता है। एक हिस्सा गोश्त खुद के लिए, एक रिश्तेदारों के लिए और एक हिस्सा गरीब और मज़बूर के लिए जो की क़ुरबानी नहीं करा सकते।

  1. 2024 का कुर्बानी कब है?

    कुर्बनी 2024 में 12 जून को है। चांद देख कर ही बकराईद को मनाया जाता है एक या दो दिन आगे भी ईदउलअजहा को मनाया जा सकता है ।

  2. बकरा ईद क्यों मनाया जाता है?

    बकरा ईद को इसलिए मनाया जाता है क्यू की हज़रत इब्राहीम अ.स अल्लाह पाक की राह में अपने बेटे इस्माइल अ. स की कुर्बानी देने जा रहे थे, लेकिन अल्लाह पाक ने उनका ईमान देखने को सिर्फ ये कहा था। अल्लाह पाक ने इंसानों की कुर्बानी को छोड़कर जानवर की कुर्बानी करने को बोले ।

  3. क्या हम ईद के चौथे दिन कुर्बानी कर सकते हैं?

    बकरा ईद के चौथे दिन हम कुर्बानी नहीं कर सकते हैं। ईद उल अज़हा में हर इंसान को तीन दिन तक ज़िबह करने का वक़्त मिलता है।

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