एतिकाफ एक खास इबादत है, जिसे मुस्लमान रमज़ान के आखिरी दस दिनों में करता है। यह हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद (PBUH) की सुन्नत है, इसलिए इस्लाम में इसका बहुत बड़ा महत्व है। इतिकाफ का मकसद इंसान को दुनियावी चीजों से दूर करके पूरी तरह अल्लाह की इबादत में लगाना होता है।
इसमें पुरुष रोज़ेदार मस्जिद (या औरतें अपने घर के किसी अलग हिस्से) में ठहरकर इबादत, तिलावत, दुआ और ज़िक्र में मशगूल रहते हैं। आज मैं आपको एतिकाफ सही तरीका क्या है? इसे कब और कैसे किया जाए? मर्दों और औरतों के लिए इसमें क्या फर्क है? कौन-सी दुआ पढ़ी जाती है, और इसकी फज़ीलत क्या है? इसके बारे में बताऊंगा।
एतिकाफ़ क्या है ? Itikaf Kya Hai In Hindi
एतिकाफ का अर्थ होता है “ठहरना” या “रुकना”, यानी अल्लाह पाक की इबादत के लिए एक निश्चित समय तक मस्जिद में ठहरना और
दुनियावी कामों से खुद को दूर रखना। एतिकाफ़ रमज़ान के आखिरी अशरे (आखिरी दस दिनों) में किया जाता है, ताकि इंसान अपनी पूरी तवज्जोह अल्लाह की इबादत और तौबा में लगा सके।
पुरुषों के लिए एतिकाफ मस्जिद में बैठकर करना सुन्नत है, जबकि औरतें इसे अपने घर में किसी खास जगह (जहाँ वे आमतौर पर नमाज़ पढ़ती हैं) ठहरकर करती हैं। एतिकाफ के दौरान इंसान खुद को दुनियावी बातों और कामों से अलग कर लेता है और पूरा ध्यान अल्लाह की इबादत, नमाज़ पढ़ने में, क़ुरान शरीफ़ की तिलावत करने, तस्बीह पढ़ना, जिक्र में लगाता है।
एतिकाफ करने का एक बड़ा मकसद शबे क़द्र की बरकतों और रहमतों से महरूम न होना है।
एतिकाफ़ में नियत कैसे की जाती है?
एतिकाफ़ की नीयत के लिए दिल से इरादा करें और नीचे दी गई इतिकाफ की दुआ पढ़ें:
“बिस्मिल्लाही दख़लतु व’अलैहि तवक्कलतु वनवयतू सुंनतुल इतिकाफ” (अर्थ: मैं अल्लाह के नाम से मस्जिद में दाखिल हुआ हूँ और उसी पर भरोसा किया है, और इतिकाफ़ की सुन्नत का इरादा किया है। ऐ अल्लाह! मुझ पर अपनी रहमत के दरवाज़े खोल दे।)
रमजान में एतिकाफ का तरीका क्या है?
नीयत करना:
- किसी भी इबादत को करने से पहले नीयत करना जरूरी होता है।
- एतिकाफ की नीयत के लिए दिल से इरादा करें और नीचे दी गई इतिकाफ की दुआ पढ़ें:
“बिस्मिल्लाही दख़लतु व’अलैहि तवक्कलतु वनवयतू सुंनतुल इतिकाफ” (अर्थ: मैं अल्लाह के नाम से मस्जिद में दाखिल हुआ हूँ और उसी पर भरोसा किया है, और इतिकाफ़ की सुन्नत का इरादा किया है। ऐ अल्लाह! मुझ पर अपनी रहमत के दरवाज़े खोल दे।)
मस्जिद में जाना:
- मर्दों के लिए मस्जिद में इतिकाफ करना ज़रूरी है।
- औरतें अपने घर में किसी शांत, पाक-साफ जगह पर इतिकाफ कर सकती हैं।
समय:
- रमज़ान के आखिरी दस दिनों में इतिकाफ करना सुन्नत है।
- 20 रमज़ान की शाम से शुरू होकर ईद-उल-फित्र की रात तक चलता है।
इबादत और अमल:
- इस दौरान अल्लाह की इबादत में लगे रहें:
नमाज़ पढ़ें
क़ुरआन की तिलावत करें
ज़िक्र (सुभानअल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह, अल्लाहु अकबर) करें
तौबा और दुआ करें - दुनियावी बातों और फ़िजूल कामों से बचें।
ज़रूरतों का ध्यान:
- खाना-पीना और ज़रूरी कामों के लिए मस्जिद से बाहर जाना जायज़ है।
- लेकिन यह समय कम से कम होना चाहिए।
एतिकाफ खत्म करने पर दुआ:
- अंत में अल्लाह से दुआ करें कि वह आपकी इबादत क़बूल करे और बरकतें अता करे।
खासकर शब-ए-क़दर (21,23, 27वीं रात) में दुआ करें, क्योंकि यह हजार महीनों से बेहतर रात होती है
एतिकाफ के नियम क्या हैं?
एतिकाफ की 8 अहम शर्तें:
- मर्द – मस्जिद में रहकर इबादत करे।
- औरतें – घर के किसी पाक-साफ कोने में इतिकाफ कर सकती हैं।
- शुरुआत – 20वें रमज़ान की मगरिब की नमाज के बाद शुरू करें।
- बातचीत – गैर-ज़रूरी दुनियावी बातें करना मना है।
- मस्जिद से बाहर जाना – बिना ज़रूरत के बाहर जाना मना है।
- ज़रूरतें – सिर्फ वुज़ू, ग़ुस्ल, और शौचालय के लिए मस्जिद से बाहर निकल सकते हैं।
- बीमार की अयादत – मरीज़ को देखने जाना मना है।
- जनाज़े में शामिल होना – इतिकाफ़ के दौरान जनाज़े में भी शामिल नहीं हो सकते।
इतिकाफ़ का असल मकसद अल्लाह की इबादत में लगे रहना और गुनाहों से बचना है। इसलिए इसे पूरी शिद्दत और तवज्जो के साथ अदा करें, ताकि अल्लाह की रहमत और मग़फ़िरत हासिल हो सके।
एतिकाफ की दुआ | Itikaf Ki Dua

एतिकाफ़ की दुआ हिंदी में | Itikaf Ki Dua In Hindi
बिस्मिल्लाही दख़लतु व’अलैहि तवक्कलतु वनवयतू सुंनतुल इतिकाफ
मैं अल्लाह के ख़ुशनसीब नाम से मस्जिद में दाखिल हुआ हूँ और उसी पर भरोसा किया है और एतिकाफ़ की सुन्नत का इरादा किया है। ऐ अल्लाह मुझ पर अपनी रहमत के दरवाज़े खोल दे।
एतिकाफ़ की दुआ इंग्लिश में | Itikaf Ki Dua In English
Bismillahi Dakhaltu Wa’Alayhi Tawakkaltu Wanawaytu Sunnatul I’tikaaf
Itikaf Ki Dua Translation In English
With the Blessed Name of Allah have I entered into the Masjid and in Him have I placed my trust, and I have made the intention of the Sunnah of I’tikaf. O Allah open Your doors of Mercy upon me.
एतिकाफ़ की दुआ अरबी में | Itikaf Ki Dua In Arabic
بسم الله دخلت و عليه توكلت و نويت سنت الاعتكاف۔
इतिकाफ करने के फायदे और फज़ीलत
इतिकाफ सिर्फ एक इबादत नहीं बल्कि अल्लाह से जुड़ने और गुनाहों से दूर रहने का बेहतरीन ज़रिया है। इसके कई फायदे और फज़ीलतें हैं, जिनका जिक्र हदीसों में किया गया है।
1. दो हज और दो उमराह का सवाब
पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
जो शख्स रमज़ान के आखिरी 10 दिनों में इतिकाफ करेगा, उसे दो हज और दो उमराह करने का सवाब मिलेगा।
2. 300 शहीदों का सवाब
एक हदीस में आया है:
जो इंसान रमज़ान में एक दिन और एक रात इतिकाफ करेगा, तो उसे 300 शहीदों का सवाब मिलेगा।
3. गुनाहों से बचाव
जो शख्स एतिकाफ करता है, वह तमाम गुनाहों से बचा रहता है, क्योंकि वह पूरी तरह अल्लाह की इबादत में मशगूल रहता है।
4. नेकियों में बढ़ोतरी
इतिकाफ करने वाले का हर पल इबादत में लिखा जाता है, चाहे वह सो रहा हो या जाग रहा हो। अल्लाह पाक हर वक्त नेकियों में बढ़ोतरी और गुनाहों की माफी देता है।
5. दुआ कबूल होने का मौका
एतिकाफ के दौरान की गई दुआओं को अल्लाह पाक जल्दी कबूल करता है। खासकर शब-ए-क़दर (21, 23, 25, 27वीं रात) में की गई दुआ हजार महीनों से बेहतर होती है।
6. जन्नत में ऊँचा दर्जा
जो शख्स एतिकाफ करता है, अल्लाह उसे जन्नत में ऊँचा मुकाम अता फरमाता है।
एतिकाफ में क्या करना चाहिए?
एतिकाफ में नमाज पढ़ना, कुरान का तिलावत करना, और अल्लाह से दुआ मांगनी चाहिए।
एतिकाफ कब किया जाता है?
एतिकाफ रमज़ान के आखिरी अशरे (21वीं रात से 30वीं रात तक) किया जाता है। यह सुन्नत-ए-मुअक्कदा है, यानी इसे करना बहुत सवाब का काम है।
इतिकाफ तोड़ने वाले काम
अगर कोई व्यक्ति बिना ज़रूरत के मस्जिद से बाहर चला जाए या जनाबत की हालत में हो तो इतिकाफ टूट जाता है।
ATEKAB KI DUA HINDI AND ARVI