ग़ुस्ल करने का सही तरीक़ा | Ghusl Karne Ka Tarika In Hindi

आज मैं आपको ग़ुस्ल करने का तरीका बताऊंगा। ग़ुस्ल नहाने को कहते हैं मगर इस्लाम में सही से नहाने का भी कुछ तरीका होता है।

जब तक ग़ुस्ल के फ़र्ज़ और ग़ुस्ल की सुन्नत नहीं करेंगे तब तक आपका ग़ुस्ल नहीं होगा। इसीलिए जब भी आप ग़ुस्ल करने जाये तो ग़ुस्ल की इन बातों का ज़रूर ख्याल रखें।

अगर आप ग़ुस्ल करने के बाद तुरंत नमाज़ पढ़ने जाते हैं चाहे फज़र की नमाज़ या ज़ुहर की कोई भी नमाज़ पढ़ने जाते हैं तो आपको वज़ू करने की ज़रूरत नहीं होगी।

ग़ुस्ल करने का तरीक़ा

नीचे हमने ग़ुस्ल करने का तरीका बताया है। आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो आप सही से ग़ुस्ल करपायेंगे।

  1. ग़ुस्ल (नहाना) की नीयत करना।
  2. दोनों हाथो को गट्टो ताल अच्छे से धोना।
  3. नाक में पानी डालना।
  4. वज़ू करना। ( जब आप वज़ू करलेंगे तो हाथ को धोना और कुल्ली करना अपने आप हो जायेगा )
  5. नापाकी वाली जगह को अच्छे से धोना।
  6. पूरे शरीर पर पानी बहाना।
  7. दाहिने और बाये कंधे पर पानी डालना (बहाना)।
  8. इस बात का ध्यान रखे की ग़ुस्ल सही से करते वक़्त शरीर का हिस्सा छूटा न रहे।

गुस्ल के कितने फर्ज होते हैं?

गुस्ल के तीन फर्ज होते हैं। अगर इन तीन चीज़ में से किसी भी चीज़ को आप करना भूल जाते हैं या फिर नहीं करते हैं तो आप का ग़ुस्ल (नहाना) नहीं होगा ।

  1. मुँह भर कर कुल्ली करना
  2. पूरे बदन को पानी से धोना (बहाना)
  3. नाक में पानी डालना

गुसल में कितनी सुन्नत है?

ग़ुस्ल सही से करने की पांच सुन्नतें हैं आप ग़ुसल (नहाते) करते वक़्त इन ग़ुस्ल की सुन्नतों का ज़रूर ध्यान रखें।

  1. दोनों हाथो को गट्टो तक अच्छे से धोना।
  2. नापाक वाली जगह को साफ़ से धोना।
  3. जहाँ नापाकी लगी हो उस जगह को धोना।
  4. तमाम बदन पर पानी डालना।
  5. मुँह भर कर कुल्ली करना।

आप नापाकी की हालत में ये सब काम नहीं कर सकते हैं।

अगर आप नापाकी हालत में हैं तो आप ये पांच चीज़ नहीं कर सकते, अगर आप यह चीज़े नापाकी में रहते हुए करते हैं तो आपको बताते चलू ना तो उस काम करने का आपको साहब मिलेगा और नापाकी की हालात में यह काम करना गुनाह करने जैसा है।

  1. नमाज़ पढ़ना।
  2. क़ुरान शरीफ की तिलावत करना।
  3. काबा शरीफ का तवाफ़ करना।

ग़ुस्ल करना कब करना ज़रूरी होता है ?

  1. अगर रात को एहतलाम ( Nightfall )हो जाये
  2. बीवी से सोहबत ( Intercource ) करने के बाद
  3. हैज़ (महामारी ) के बंद हो जाने के बाद
  4. निफ़ास का खून बहना (पैदाइश के बाद बहने वाला खून )

हमे उम्मीद है अब आपको गुसल करने का तरीका पता चल गया होगा साथ ही ग़ज़ल के फ़राइज़, गुसल की सुन्नतें, और किन हालात में गुसल करना ज़रूरी होता है।

ग़ुस्ल कब जरूरी है?

ग़ुसल तब ज़रूरी होता है जब आप किसी वजह से नापाक हो गए हों।

गुस्ल का मतलब क्या होता है?

ग़ुस्ल का मतलब नहाना होता है।

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